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Showing posts from February, 2019

ना जाने कैसी तेरी ये मोहब्बत (part-1) (Love quote)

ना जाने कैसी तेरी ये मोहब्बत (part-1)           (Love quote) ⚫ना जाने कैसी तेरी ये मोहब्बत      ना तू इनकार करती है ना तू इकरार करती हैं...     फिर भी ये दिल हर पल बस तुझसे ही इज़हार            करता है।। ⚫ना जाने कैसी तेरी ये मोहब्बत      ज़िन्दगी के हर लम्हा तेरे लिए धड़का है मेरा ये      दिल...      फिर भी मेरी मौत पर बिल्कुल ना तड़पा है तेरा ये     दिल।। ⚫ना जाने कैसी तेरी ये मोहब्बत       दिल ये मेरा तेरी याद में हर पल रोया है...       लेकिन तूने खुद को किसी ओर की आगोश में        समेटा है।। ⚫ना जाने कैसी तेरी ये मोहब्बत       तुझे ना मेरी जिंदगी की फ़िक्र है...       फिर भी मेरी हर कविता में तेरा ही ज़िक्र है।। Connect with me on social media Instagram :- Storyteller_shivam Facebook:- Storytellershivam

kahani - LOVE IN TRAIN (LAST PART)

To read 3rd part- Love in train (part-3)             LOVE IN TRAIN (LAST PART)                               मोहब्बत का सफर सुबह के सूरज की रोशनी खिड़की से सीधे प्रतीक के मुँह पर पड़ते हुए उसको एक नई सुबह का एहसास करा रही थी। आँखे जब नीचे झुकी देखा निषी उसकी गोद में सर रख कर सो रही थी। ना जाने क्यों प्रतीक की हिम्मत नही हुई उसे उठाने की बस एक नज़र उसे देखता रहा , वो मीठी धूप निषी के चेहरे को एक अलग ही चमक दे रहे थी। प्रतीक ने धीरे धीरे से उसके चेहरे पर आते बालों को हटा दिया , लेकिन तभी निषी की आँख खुल गयी । खुद को प्रतीक की गोद में देख उठी और बोली - "सॉरी वो रात को याद नही रहा होगा।" "अरे कोई बात नही।" प्रतीक हँसते हुए बोला। You are reading story at storytellershivam.in थोड़ी देर बाद अब दोनों अपनी सीट पर चुपचाप बैठे खिड़की के बाहर वो बर्फीले पहाड़ो का देख रहे थे ट्रेन सिक्किम मे आ चुकी थी। बस कुछ घण्टो का सफर और बाकी था। तभी चाय आती है। प्रतीक केबिन की शान्ति को तोड़ते हुए पूछता है - "तुम घर से क्यों भाग कर आयी हो?" निषी हँस देती कहती है

kahani - LOVE IN TRAIN (PART-3)

To read 2nd part Love in train (part-2)                      LOVE IN TRAIN (PART-3)                               मोहब्बत का सफर "अरे तुम्हारी आँख में आँसू , तुम रोती भी हो प्रतीक निषी को देखते बोला। तभी प्लेटफार्म की लाइट एकदम से बंद हो जाती है, निषी पलट कर प्रतीक से चिपक गयी। प्रतीक इस अचानक मिलन से चौक गया लेकिन उसके उदास मन और डरे हुए चेहरे को देख कुछ नही बोल पाया, पहली बार कोई लड़की उसके इतने करीब थी इसीलिए सोच ही नही पाया कि क्या करे। प्रतीक ने महसूस किया उसकी धड़कन निषी की धड़कन की आगे बन्द हो चुकी है और निषी का दिल डर से इतनी तेज़ धड़क रहा था , कि वो उसे अपने सीने में महसूस कर सकता था । तभी खुद को संभालते हुए निषी के सर पर हाथ रखते हुये प्यार से उसके कान में बोला-"डरो मत में हूँ ना, अच्छा अब घर फ़ोन लगा दो और बता दो मे प्रॉब्लम में हूँ।" तभी लाइट आ जाती है निषी खुद को प्रतीक के साथ से देख खुद एकदम से अलग करती है। उसकी आँखे में उसका शरमाना प्रतीक साफ साफ दिख रहा होती है , फिर वो अपना फ़ोन देखती है लेकिन फ़ोन उसके पास नही होता लगता है। "फ़ोन ट्रे

kahani - LOVE IN TRAIN (PART-2)

To read 1st part- Love in train (part-1)              LOVE IN TRAIN (PART-2)                         मोहब्बत का सफर   छुक छुक छुक चलो ये चली रेलगाड़ी................... ट्रेन कानपुर सेंट्रल से निकल चुकी है, धीरे धीरे कानपुर पार करती है। अरे ये क्या दोनों अभी भी एक ही केबिन में लेकिन ये क्या दोनों एक दूसरे की तरफ देख भी नही रहे है । प्रतीक मन में बड़बड़ाता है टी.टी. सच में कमीना है एक सीट जुगाड़ नही करा सकता है, इतनी फुल है ट्रेन क्या ? तभी नजर खड़की के बाहर पड़ती है, बने वो झोपडी घरो पर गरीबी और गंदगी में रहते लोग और इतनी ठंड में कम कपड़ो में खेलते बच्च्चे जिनको बस अपनी दुनिया से मतलब है। तभी कानपुर की एक अलग खूबसुरती गंगा नदी। ट्रेन अपनी रफ्तार से चल रही थी और प्रतीक दरवाजे पर खड़े हो पीछे भागती खूबसुरती को कैद करता है। और ट्रेन संगम के अर्धकुम्भ से प्रयागराज स्टेशन पर आ चुकी थी, प्रतीक केबिन में अंदर आया देखा निषी खिड़की बैठी थी , तभी अजानक लगे ब्रेक से उसकी नजर सीट के नीचे से निकले उस झुमके पर पड़ी जो अभी भी नीचे था शायद लड़ाई के चक्कर में उसे दोनों लोग उठाना भूल गए । प्रत