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Showing posts from April, 2019

KAHANI- 90's childhood story- 2 (Cute love story)

1st part- 90's childhood story-1               शक्तिमान शक्ति शक्ति शक्तिमान चिल्लाते हुए में दौड़ कर घर पहुँचा , यही तो था हमारा सुपरहीरो। मेने बैग एक तरफ फेक कर टीवी को on किया लेकिन दीदी को तो मेरी खुशी देखी नही जाती तुरन्त चिल्लाई "मम्मी ये देखो प्रतीक ने कपड़े भी नही उतरे और टीवी पर बैठ गया और इसको बोलो टीवी बन्द करे कल मेरा बोर्ड का आखिरी पेपर है।" सच मे बड़े भाई बहनों को छोटो की खुशी देखी नही जाती है। में गुस्से अपने कमरे मे जा कर अपने WWF कार्ड से खेलने लगा। छुट्टी में क्या है जिंदगी सबुह आराम से जगाना कोई नही टोकने वाला।  जितना मर्ज़ी उतना खेलना।  वैसे भी कल दीदी का आखिरी पेपर फिर तो हम नाना जी के घर चले जायेंगे खूब मस्ती करेगे। अगले दिन हम सब मे, दीदी और माँ ट्रैन से नाना जी के घर निकल गए पूरे साल का सबसे अच्छा टाइम ट्रैन से ये 10 घण्टे का सफर में बड़ा मजा आता था। नाना जी के घर कुछ दस दिन रहने के बाद हम सब वापस आ रहे थे, क्योंकि इस बार दीदी के कॉलेज अड्मिशन भी होना था, तो हम जल्दी लौट कर आ गये। जब वापस आया तो एक दिन अक्षत घर आया बोला "भाई पता है तेरी सिमरन र

Hum Tum or Ehsaas (we n you and feelings)

Phle hum aksar roj mila krte the... Ab to bate bhi jab kbhi hone lgi. Phle hm bato hi bato me duniya ghoom lete the... Ab duniya bhr ki baato me baate nhi milti. Phle vo meri narazgi ko muskraht me krna janti thi Ab meri narazgi ko or naraz krna janti h. Pehle hm hatho hi hatho me ek dusre ko samet lete the... Ab unhi hatho se khud ko dur krne ka jariya dund lete he. Phle mujhe khi bhi dekh vo muskra deti thi... Ab use mera didar bhi psnd nhi he. Ek bat jo phle bhi sch thi aj bhi sch he... Vo phle bhi mujhse jyda kisi or se na apne ma or pitaji se pyr krti thi... Vo aj bhi mujhse jyada unse pyar krti he. Ha thodi nasmajh vo phle bhi thi or aj bhi he... Phle vo smjhti thi me use duniya se chura luga... Ab vo ye na smjhti he ki me use duniya ke smne se chura luga. Phle hm aksar roj mila krte the... Lekin ab bate bhi jb kbhi hone lgi he. Instagram :- Storyteller_shivam Facebook:- Storytellershivam

kahani - You are my Soulmate or love?

          You are my Soulmate or love? एक रोज जब तुमसे 2 दिन बात नही हुई ओर तीसरे दिन शाम को बात हुई उस रात नींद हमको नही आ रही थी तो सोचा एक बात हमारी तुम्हारी लिखू.. एक खत तुम्हारे लिए लिखू। बस ये डाक से नही मेरे एहसास से तुम तक जाएगा चलो महसूस कराते है तुमको एहसास हमारे... Dear jalebi आज jalebi लिख रहा हूँ little heart फिर कभी ये सच है तुमसे प्यार है या नही पता नही, वैसे हम क्यों करे प्यार तुमसे तेरी इस रूह को मेरे इस शरीर से नही निकाल सकते , तो कैसे प्यार करे तुमसे। काश निकाल पाते तो जरूर मोहब्बत होती तुमसे। अच्छा पुरानी यादों की एक कहानी सुनोगी , वो शाम याद जब हम घर पर थे और तुमने फ़ोन करके बोला था हमने उसको हाँ कर दी तब एक ही सवाल मेरा था क्यों? और तुमने वो एक जवाब दिया जो कभी नही भूलेंगे जाने दो उस दिन से फिर भी हम रोज मिलते और बातो में हम दोनों का एक एहसास था । वो पार्क में जब पहली बार हाथ पकड़ा था तुम्हारा ओर तुमने कुछ नही बोला वो तुम्हारे हाथ  की गरमाहट का एहसास आज भी मेरे हाथ मे है। फिर जब तुम दूर जा रही थी , आँख में आँसू नही थे मेरे। क्यो

KAHANI- 90's childhood story- 1 (Cute love story)

"प्रतीक बेटा उठ जाओ स्कूल नही जाना है इतनी देर तक कोन सोता है?" ये है हमारी मम्मी पता नही क्यों हमेशा सुबह के सपने खराब करने की आदत है। "प्रतीक प्रतीक" माँ चिल्लताते हुए बोली। "मे तो उठ गया हूँ मम्मी, बस लेटा ही हूँ।" "अच्छा रुक अभी आती हूँ सुबह सुबह मार खायेगा तू?" अरे ये 90s है इस समय माँ की मार और पापा की डाँट से कोई नहीं बच सकता है। इसलिए माँ के कमरे तक पहुँजने से पहले ही हम नहा कर तैयार हो गए। "आज फिर सिमरन मिलते मिलते रह गयी सपने में  हमको, मम्मी को भी उस टाइम पर चिल्लाना होता है।" में बड़बड़ाते हुए नाश्ते की टेबल पर पहुँचा ही था कि  "क्या बड़बड़ा रहे हो तुम?"  दीदी ने पूछा। में उनकी तरफ देखते हुए बोला "कुछ नही आपसे मतलब।" माँ किचन से मुझे नाश्ता और दूध देते हुए बोली "आज आखिरी पेपर है कल से तुम्हरी गर्मियो की छुट्टी शुरू है तो खुशी में बेकार पेपर मत कर आना समझे।" समझ नही आता मम्मी का खुश होने के लिए बोल रही है या डराने के लिए ,आखिरी एग्जाम है। स्कूल बस में चढ़ने पर जब  सामने सीट पर बैठे अक्षत को देखा तो

KAHANI - Suicide Note ( horrer story)

निषी अपने हाथों में एक नोट लिए बैठी रोये जा रही थी। "काश सुन ली होती उसकी बात, क्यों नही सुनी मेने क्यों क्यों क्यों?"  ये सोचते सोचते एक बार फिर नज़र उस कागज के प्रतीक के सुसाइड नोट पर गयी ।   Dear निषी, यहाँ कोई भी मेरी बात सुनने को राज़ी नही था, लेकिन ये सच है इस हॉस्टल के वो 107 कमरे में कुछ तो है। जिस दिन से में उसके बगल वाले रूम 106 में शिफ्ट हुआ था , हर पल एहसास होता कोई है दीवार के उस तरफ जो रोये जा रहा था।  उस शाम जब सब फ्रेशर पार्टी थे तब में किसी काम से रूम आया था, तो बालकनी में कोई खड़ा था और बार बार फ़ोन पर बात किये जा रहा था "क्यों अलग हो रहे हो आप दोनों ? लव मेरिज की थी आप दोनों ने फिर क्यों मेरे बारे में सोचो"  जैसे ही मेने उसे आवाज दी वो तुरन्त भाग गया अपने कमरे में। वो ही कमरा 107 जब पास जा कर देखा कमरे में तो ताला लगा था, में परेशान हो गया। लेकिन लगा की थकान की वजह से भ्र्म हो गया होगा।  उस दिन से जब भी में बाहर खड़े हो कर तुमसे बात करता, लगता मानो कोई हँस रहा हो मुझ पर।  बहुत पूछा उसके बारे में कॉलेज पर कुछ पता नही चला फिर एक दिन रात को खिड़क