किस्से ... ( कुछ अधूरे कुछ पूरे) कहानी सुननी है... किसकी..? में तो किस्से सुनता हूँ, तो बताओ किस्से सुनोगे...? मेरे, तुम्हारे, हमारे या दूसरो के या किसी तीसरे किस्से तुम सुनोगे।। मेरी गर्लफ्रैंड, तुम्हारी गर्लफ्रैंड या किसी तीसरे की गर्लफ्रैंड के या गर्लफ्रैंड से हुई रातो को उन खूबशूरत बातो के किस्से तुम सुनोगे।। अरे चलो शुरू से शुरू करते है।। बचपन में किए उन सच्चे झूठे वादों के जो अक्सर अधूरे रह गए या स्कूल ग्राउंड में हुए उन झगड़ो के यादो के किस्से तुम सुनोगे।। क्लास में पीछे बैठ कर आगे बैठी अपनी क्रश के यूं ही पलट कर टकराती हुई नजरों के किस्से तुम सुनोगे।। एग्जाम में चीटिंग करते हुए पकड़े जाने के या स्कूल की वो आखरी शाम जब तुम रोना तो चाहते थे लेकिन फिर मिलगे का वादा कर रो नही पाए उसके किस्से तुम सुनोगे।। एक अनजान शहर में हर एक से अनजान है उस शख़्स के या जो इस शहर की हर एक गलियों से मशरूफ है उसके किस्से तुम सुनोगे।। अपने छोटे से शहर में एक खुबशुरत घर होकर भी दूसरे शहर में एक कमरे लिए जदोजहद करन
बिंदी... ( A story of dream & girl) Hey, में पलक वो ही एक मिडिल क्लास फैमिली की लड़की। एक खास बात बताऊ मिडिल क्लास फैमिली की, नही मिडिल क्लास फैमिली की लड़की की वो सपने तो बहुत देखती है लेकिन वो पूरे नही अक्सर अधूरे ही रह जाते है। मेने तो बस एक ही सपना देखा था और इस मिडिल क्लास के पिंजरे को तोड़ने के लिए माँ को जिद करके ओर दीदी को खूब सारा मख्खन लगा कर दोनों को अपनी तरफ करके ओर अपने अंदर की पूरी हिम्मत जुटा कर पापा के सामने थी- "पापा मुझे जॉब करनी है। अपने लिए कुछ करना है, आपके लिए कुछ करना है।" पापा ने एक चिंताजनक चेहरा बनते हुए पूछा- "क्यों और कोई जरूरत नही है जब तक मे हूँ।" मेने एक बार फिर विनती करते हुए कहा- "प्लीज् पापा मुझे कुछ बनना है एक मौका दे दो ना।" इस बार मेरे दोनों कंधो पर एक तरफ दीदी ओर एक तरफ माँ का हाथ था तो शायद पापा मानने को तैयार दिख रहे थे। मेने पापा के पास बैठ कर बोला- "बस एक मौका मेरे लिए, आपका भरोसा कभी नही टूटने दूँगी ओर ना कोई ऐसा काम करुँगी जिससे आपकी इज़्ज़त को धक्का