किस्से ... ( कुछ अधूरे कुछ पूरे) कहानी सुननी है... किसकी..? में तो किस्से सुनता हूँ, तो बताओ किस्से सुनोगे...? मेरे, तुम्हारे, हमारे या दूसरो के या किसी तीसरे किस्से तुम सुनोगे।। मेरी गर्लफ्रैंड, तुम्हारी गर्लफ्रैंड या किसी तीसरे की गर्लफ्रैंड के या गर्लफ्रैंड से हुई रातो को उन खूबशूरत बातो के किस्से तुम सुनोगे।। अरे चलो शुरू से शुरू करते है।। बचपन में किए उन सच्चे झूठे वादों के जो अक्सर अधूरे रह गए या स्कूल ग्राउंड में हुए उन झगड़ो के यादो के किस्से तुम सुनोगे।। क्लास में पीछे बैठ कर आगे बैठी अपनी क्रश के यूं ही पलट कर टकराती हुई नजरों के किस्से तुम सुनोगे।। एग्जाम में चीटिंग करते हुए पकड़े जाने के या स्कूल की वो आखरी शाम जब तुम रोना तो चाहते थे लेकिन फिर मिलगे का वादा कर रो नही पाए उसके किस्से तुम सुनोगे।। एक अनजान शहर में हर एक से अनजान है उस शख़्स के या जो इस शहर की हर एक गलियों से मशरूफ है उसके किस्से तुम सुनोगे।। अपने छोटे से शहर में एक खुबशुरत घर होकर भी दूसरे शहर में एक कमरे लिए जदोजहद करन
DESTINATION 25, december शाम के 5 बज रहे थे, और प्रतीक अपने कमरे में तैयार हो रहा है कहाँ के लिए तैयार हो रहा है?" कमरे के अंदर आकर शान पूछता है। "ओपन माइक है, तो वही जा रहा हूं तुमको चलना है, तुम भी चलो।" प्रतीक ने जवाब देते हुए कहा। "तुम हो कर आओ, मैं चला अपने दोस्तों से मिलने।" यह कहकर शान कमरे से बाहर निकल गया। Open mic की शाम खत्म हुई और प्रतीक open mic मे बचे कुछ आखरी लोगो के साथ चाय पीने दुकान पर चला गया और वहां से जब घर वापसी के लिए जाने लगे तो लोगो में से कुछ कम ही लोग बाकी रह गए। ओर अक्सर ऐसा होता था कि हर open mic में नए दोस्त बन ही जाते थे। इस बार भी ऐसा ही हुआ बहुत नए दोस्त मिले। रास्ते में एक लड़की से बात हुई वो भी open mic मे आयी हुई थी, ओर साथ ही वापस जा रही थी। मान्या उसका नाम था। बातो ही बातो में प्रतीक को पता चला कि वो भी कानपुर में ही रहती है और यही जॉब भी करती है। लड़कों की तो आदत ही होती है घर आकर सबसे पहला काम लड़की को इंस्टाग