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Showing posts from November, 2019

The evening...^2 (Known or unknown love story?)

  To read 1st part- The evening-1                      The evening...^2  (Known or unknown love story?)   उफ्फ ये सफर...हर बार कुछ न कुछ याद दिलाता रहता है। प्रतीक ट्रैन से अपने बचपन और माँ के शहर से वापस आ रहा था। और हर पल बढ़ती ट्रैन की रफ्तार के साथ और वो पीछे छूटते शहर के साथ वो बचपन की धुंधली यादे ताज़ा हो रही थी। तो चले फिर से फ़्लैश बैक में boooommm.... " मम्मी में जाऊ खेलने सामने वाले पार्क में ।" मेने माँ से ज़िद करते हुए बोला। "नहीं अभी नहीं पहले ये दूध खत्म करो तभी जाने देंगे।" माँ ने प्यार से बोला। में फटाफट दूध खत्म करके सामने वाले पार्क में  खेलने के लिए पहुँचा। यही जगह थी हमारी हर शाम की हम दोस्तो की में , नितिन , करिश्मा , अरमान और निषी रोज यही खेलते मस्ती करते और दिन ढलने से पहले अपने अपने घर चले जाते थे। लेकिन वो दिन कभी नही भूलने वाला स्कूल का उस साल का आखिरी दिन था । स्कूल वेन से हम सब बच्चे लौट रहे थे , उस दिन अपने दोस्त से ज़िद करके आगे  बैठा था। इतना याद है वो सड़क पर  सामने से आता तेज रफ्तार में बहकता ट्रक और एकदम से धड़ाम

The evening-1 (Known or unknown love story?)

"हेल्लो प्रतीक क्या हो रहा है चल लंच पर चलते है।" ऋषभ प्रतीक के केबिन में आते हुए बोला। "नही यार मूड नही है।" ऋषभ अंदर आकर बोला "क्या हो गया है?" "कुछ नही यार बस ऐसे ही है।" "बता ना कुछ दिन से देख रहा हूँ बहुत परेशान है।" ऋषभ प्रतीक के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला। "कुछ नही एक लड़की है यार बस उसने परेशान कर रखा है यार।" बस प्रतीक ने कहा। "क्या मतलब कुछ समझा नही कोन सी लड़की कहाँ मिल गयी ??" ऋषभ परेशान होते हुए बोला "अच्छा सुन तुझे शुरू से सुनाता हूँ।" "सुना।" चलो चलते है फ़्लैश बैक में booom "बात एक महीने पहले की है , याद है मेने छुट्टी ली थी।" हर शाम की तरह उस शाम भी करवटे बदल रहा था । घड़ी की टिक टिक के साथ समय गुजरता जा रहा था, उफ्फ ये क्यों ऑफिस से छुट्टी ले लेता हूँ यार। तभी घड़ी की टिक टिक को तोड़ते हुए दरवाजे की घण्टी बजती है। में सोचता हूँ इस समय को होगा घर पर तो में अकेला रहता हूँ और दोस्तो को पता है में बाहर गया हूँ, फिर कोन होगा? दरवाजा खोला तो कोई नही था, में गुस्से म