"हेल्लो प्रतीक क्या हो रहा है चल लंच पर चलते है।" ऋषभ प्रतीक के केबिन में आते हुए बोला।
"नही यार मूड नही है।"
"नही यार मूड नही है।"
ऋषभ अंदर आकर बोला "क्या हो गया है?"
"कुछ नही यार बस ऐसे ही है।"
"बता ना कुछ दिन से देख रहा हूँ बहुत परेशान है।" ऋषभ प्रतीक के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला।
"कुछ नही एक लड़की है यार बस उसने परेशान कर रखा है यार।" बस प्रतीक ने कहा।
"क्या मतलब कुछ समझा नही कोन सी लड़की कहाँ मिल गयी ??" ऋषभ परेशान होते हुए बोला
"अच्छा सुन तुझे शुरू से सुनाता हूँ।"
"सुना।"
चलो चलते है फ़्लैश बैक में booom
"बात एक महीने पहले की है , याद है मेने छुट्टी ली थी।"
हर शाम की तरह उस शाम भी करवटे बदल रहा था ।
घड़ी की टिक टिक के साथ समय गुजरता जा रहा था, उफ्फ ये क्यों ऑफिस से छुट्टी ले लेता हूँ यार।
तभी घड़ी की टिक टिक को तोड़ते हुए दरवाजे की घण्टी बजती है।
में सोचता हूँ इस समय को होगा घर पर तो में अकेला रहता हूँ और दोस्तो को पता है में बाहर गया हूँ, फिर कोन होगा?
दरवाजा खोला तो कोई नही था, में गुस्से में बोला "यार ये बच्चे भी सोने नही देते है।"
में वापस दरवाजा बंद करने आने लगा तभी
"अरे मेने घन्टी बजायी है रुको प्लीज।" एक आवाज कानो में आयी।
पलट कर देखा तो एक लड़की सीढ़ियो से एक भारी बैग ले कर आ रही थी।
पास कर बोली "वो लिफ्ट बन्द थी तो एक एक करके सामान ला रही थी , औऱ मुझसे मेरे नए फ्लैट की keys कही खो गयी है और नीचे वाचमैन भी नही है। आप मदद कर देंगे प्लीज।"
"में बोला देखता हूँ।" आप रुकिए।
"Thank you. में इस शहर में पहली बार आयी हूँ।" लड़की बोली।
"Ok कोई बात नही मेने चाबी वाले को फ़ोन लगा दिया है अभी आ जायेगा।" में फ़ोन रखते हुए बोला।
"Ok thank you so much."
"अरे कोई नही बात नही आपको कोई परेशानी ना हो तो अंदर आकर इंतज़ार कर सकती है।" में कहा।
"ओह्ह कोई बात नहीं में ठीक हूँ ।" वो बोली।
"अरे बाहर बहुत ठंड है और उसको आने में 30 मिनट तो लग ही जायेंगे , ओर हम चाय बना रहे आकर आप भी जॉइन कर सकती है ।" मेने समझते हुए कहा।
"ठीक है।"
मेने कहा " sit make you comfortable."
लड़की बोली " वैसे आपका घर तो बहुत सुंदर और सुसज्जित है,और कौन कौन रहता है ?"
"धन्यवाद , बस में अकेला रहता हूँ " मेने कहा।
"अरे सच मे आप अकेले !!!"
"हाँ क्यों"
"नही वी बस सुना किसी bechlaor लड़के का घर इतना साफ सुथरा नही रहता है।" वो हँसते हुए बोली।
"ओह्ह ऐसा है क्या??" मेने भी हँसते हुए कहा।
"नहीं वो बस सुना था।"
"रहने दिजीये आप मे चाय बना कर लता हूँ , लोग तो ये भी बोलते की में चाय बहुत अच्छी बनाता हूँ।" में हँसते हुए किचन की तरफ जाते हुए बोला।
"तो फिर हम जरूर पियेंगे।" वो भी मुस्कराते हुए बोली।
चाय बनाते बनाते मेने पूछा "आप का नाम तो पूछना भूल ही गए ,क्या नाम है आपका?"
"निषी , ओर आपका ?" उसने कहा।
"निषी !! " में थोड़ा कंफ्यूज होते हुए बोला।
निषी ने कहा " क्यों क्या हुआ ?"
"अरे कुछ नही अच्छा नाम है और में प्रतीक ।" मेने कहा।
"वैसे चाय सच मे अच्छी बनी है।" निषी ने मुस्कराते हुए कहा।
मेने कहा " थैंक यू ओर आप यहाँ क्या करने आयी हो?"
"ओह्ह में अपनी कम्पनी की तरफ से आयी हूँ वो पुरानी ancient historical place पर रिसर्च करते है , और में एक ट्रैवलर हूँ।" निषी ने बताया ।
"ओह्ह wow nice " मेने कहा।
"ओर आप क्या करते है?" निषी ने पूछा।
"में एक architecture हूँ ।" मेने बताया।
"Ok"
तभी डोर बेल बजी।
"लो लीजिये बातो ही बातों में पता भी नही चाबी वाला आ गया ।" में दरवाजा खोलने के लिए उठा।
जब वो जा रही थी तो मैने बोला "निषी!!"
पलट कर वो बोली "हाँ बोलिये।"
मेने कहा " कुछ नही बस ऐसे ही bye ओर कुछ हेल्प चाहिये हो तो बता देना।"
"Okk थैंक यू" वो मुस्कराते हुए अपने फ्लैट में चली गयी।
जब में दरवाजा बंद करके अंदर आया तो लगा जैसे में उस चेहरे और मुस्कराहट उस आवाज को जनता हूँ पहले से लेकिन याद नही नही आ रहा है।
उस दिन से हम दोनों बहुत बार शाम को मिले , बात हुई लेकिन ....
"लेकिन क्या आगे क्या हुआ ?" ऋषभ प्रतीक को present में लाते हुए बोला।
"मुझे लगता है उसको में जनता हूँ।" प्रतीक ने कहा।
ऋषभ बोला "तो परेशानी क्या है जा कर उससे कंफर्म करले बात खत्म यार।"
"वो ही तो यार वो फ्लैट खाली कर के चली गयी है।" प्रतीक ने परेशान होते हुए कहा।
"अबे तो फ़ोन नंबर तो होगा कॉल कर ना।" ऋषभ ने जोर देते हुए कहा।
यार....
क्या....
"वो नंबर की जरूरत ही नही पड़ी तो लिया नही और ओर सोशल साइट के बारे में भी नहीं पूछा मिला ही कितने थे यार।" प्रतीक चुप होते हुए बोला।
"पूरा नाम तो पता होगा ना उससे सर्च कर fcebook पर बाकी कहीं पर।" ऋषभ फिर बोला।
"नही मालूम।" में नजरे चुराते हुए कहा।
"क्या बात है मेरे हीरो क्या बात है, अब क्या करेंगे जरा बताना??" ऋषभ गुस्से ने शाबासी देते हुए कहा।
"एक तरीका है मेरे 3rd क्लास की एक ग्रुप फोटो है अगर ये वही तो उसमें होगी ओर नाम भी होगा।" प्रतीक ने उत्सुक होते हुए कहा।
"क्या क्या बोला रहा है 20 साल पुरानी लड़की अब मिलेगी और इतनी क्या खास है में कुछ समझा नही।" ऋषभ परेशान होते बोला।
"में पक्का हूँ ये वही है सुन में जा रहा हूँ बोस को बता देना में पैकिंग करके माँ के पास निकलूँगा।" प्रतीक जल्दी जल्दी अपना आफिस बैग पैक करते हुए बोला।
ऋषभ ने टोकते हुए कहा "अब ये कहानी तो बता कर जा।"
प्रतीक-" आकर अभी चलता हूँ।"
प्रतीक ट्रैन में बैठे बैठे सफर निकल रहा था उस सफर के हर पल के साथ याद रहा था वो एक्सीडेंट वो हर शाम को रोज हॉस्पिटल आना हर बार मुस्कराहट के फूल देंना सब कुछ।
कब माँ के शहर आ गया पता ही नही चला।
घर पहुँच कर सबसे पहले प्रतीक ने माँ से पूछा "मम्मी याद है जब मेरा 3rd क्लास में एक्सीडेंट हुआ था तब रोज एक लड़की आती थी हर शाम मुझसे मिलने क्या नाम था उसका याद है आपको?"
"आती तो थी जब तू बिल्कुल ठीक नही वो रोज आती थी, लेकिन उसका नाम याद नहीं क्यों क्या हो गया?" मम्मी ने पूछा।
"कुछ नही वो मेरी 3rd क्लास की ग्रुप फ़ोटो तो होगी ?" प्रतीक ने परेशान होते हुए पूछा।
"देख ले मुझे मालूम नही स्टोर रूम में।" मम्मी ने बताया।
प्रतीक स्टोर रूम की तरफ भाग पूरा स्टोर रूम उथल पुथल कर दिया लेकिन कुछ नहीं मिला तो वही से चिल्लाया "मम्मी नही है यहाँ पर ।"
मम्मी बोली "तो नही होगी कितनी पुरानी है चल खाना खा लो आ जाओ मुझे बहुत सारी बाते करनी है ये सब बाद में करना तुम।"
"मम्मी स्कूल रिकॉर्ड में तो होगी ना में वहाँ जा कर देखता हूँ ।" प्रतीक जोश में आते हुए बोला।
"अरे ऐसा क्या है और शाम होने वाली है, स्कूल बंद होने वाला होगा।" मम्मी ने गुस्सा करते हुए कहा।
प्रतीक कहा सुनने वाला था ,बाइक निकल कर बोला "माँ वो मिल गयी नही इतने सालों बाद ।"
तुरन्त भाग कर स्कूल पहुँचा स्कूल गेट पर एंट्री करते हुये सीधे प्रिंसिपल आफिस की तरफ बढ़ा लेकिन उस आफिस तक के रास्ते मे वो सब याद आ रहा था स्कूल की यादे वो उसके साथ स्कूल ग्राउंड की प्राथना वो खेलना।
प्रिंसिपल सर से एंट्री के पूछा सर "अंदर आ सकता हूँ ?"
"अरे तुम प्रतीक हो कैसे इतने सालो बाद भूल ही गए थे स्कूल को 12th के बाद क्या आओ बैठो, कैसे आना हुआ ??" सर ने प्रतीक को देखते हुए ।
प्रतीक ने हँसते हुए कहा "नहीं सर , बस अब यहाँ कम ही आता हूँ और इस स्कूल को कैसे भूल सकता हूँ , ओर आपकी पिटाई कैसे भूल सकता हूँ।"
सर बोले " अरे बस बताओ कैसे आना हुआ?"
"एक हेल्प चाहिए सर आपकी" प्रतीक ने कहा।
सर बोले "अरे हाँ तुम हमारे यहाँ के होनर स्टूडेंट हो बताओ कैसी मदद??"
प्रतीक ने कहा " मुझे सर मेरे 3rd क्लास की जो ग्रुप फ़ोटो है वो चाहिए है बस।"
"लेकिन क्यों??"
"बस सर जरूरत है मना मत करना प्लीज।"
"ठीक है।"
सर चपरासी को बुलाते है उसे अब समझाते है वो प्रतीक को स्टोर रूम ले कर चलता है।
बहुत मेहनत करने के बाद जब फोटो मिलती है प्रतीक देख कर उसमें निषी नाम ढूंढता है और नाम मिलने उस चेहरे को देखता बिल्कुल उसके बगल में थी तस्वीर में।
प्रतीक फोन लगता है उधर से कोई उठता है तो बोलता है "ऋषभ निषी सिंह वो ही मुस्कराहट वो ही है ।"
ऋषभ "लेकिन अब उसे ढूंढेगा कैसे ?? और बताएगा क्यों इतना परेशान था?"
"आ कर बताऊंगा ओर अब दुनिया के किसी भी कोने में होगी में ढूंढ़ निकलूँगा बस।" प्रतीक ने कहा।
"निषी सिंह"
मुस्कराते सर से एक कॉपी लेकर उसकी निकल आता है।.....
....To be continue.....
To read 2nd part-
The evening-2
"कुछ नही यार बस ऐसे ही है।"
"बता ना कुछ दिन से देख रहा हूँ बहुत परेशान है।" ऋषभ प्रतीक के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला।
"कुछ नही एक लड़की है यार बस उसने परेशान कर रखा है यार।" बस प्रतीक ने कहा।
"क्या मतलब कुछ समझा नही कोन सी लड़की कहाँ मिल गयी ??" ऋषभ परेशान होते हुए बोला
"अच्छा सुन तुझे शुरू से सुनाता हूँ।"
"सुना।"
चलो चलते है फ़्लैश बैक में booom
"बात एक महीने पहले की है , याद है मेने छुट्टी ली थी।"
हर शाम की तरह उस शाम भी करवटे बदल रहा था ।
घड़ी की टिक टिक के साथ समय गुजरता जा रहा था, उफ्फ ये क्यों ऑफिस से छुट्टी ले लेता हूँ यार।
तभी घड़ी की टिक टिक को तोड़ते हुए दरवाजे की घण्टी बजती है।
में सोचता हूँ इस समय को होगा घर पर तो में अकेला रहता हूँ और दोस्तो को पता है में बाहर गया हूँ, फिर कोन होगा?
दरवाजा खोला तो कोई नही था, में गुस्से में बोला "यार ये बच्चे भी सोने नही देते है।"
में वापस दरवाजा बंद करने आने लगा तभी
"अरे मेने घन्टी बजायी है रुको प्लीज।" एक आवाज कानो में आयी।
पलट कर देखा तो एक लड़की सीढ़ियो से एक भारी बैग ले कर आ रही थी।
पास कर बोली "वो लिफ्ट बन्द थी तो एक एक करके सामान ला रही थी , औऱ मुझसे मेरे नए फ्लैट की keys कही खो गयी है और नीचे वाचमैन भी नही है। आप मदद कर देंगे प्लीज।"
"में बोला देखता हूँ।" आप रुकिए।
"Thank you. में इस शहर में पहली बार आयी हूँ।" लड़की बोली।
"Ok कोई बात नही मेने चाबी वाले को फ़ोन लगा दिया है अभी आ जायेगा।" में फ़ोन रखते हुए बोला।
"Ok thank you so much."
"अरे कोई नही बात नही आपको कोई परेशानी ना हो तो अंदर आकर इंतज़ार कर सकती है।" में कहा।
"ओह्ह कोई बात नहीं में ठीक हूँ ।" वो बोली।
"अरे बाहर बहुत ठंड है और उसको आने में 30 मिनट तो लग ही जायेंगे , ओर हम चाय बना रहे आकर आप भी जॉइन कर सकती है ।" मेने समझते हुए कहा।
"ठीक है।"
मेने कहा " sit make you comfortable."
लड़की बोली " वैसे आपका घर तो बहुत सुंदर और सुसज्जित है,और कौन कौन रहता है ?"
"धन्यवाद , बस में अकेला रहता हूँ " मेने कहा।
"अरे सच मे आप अकेले !!!"
"हाँ क्यों"
"नही वी बस सुना किसी bechlaor लड़के का घर इतना साफ सुथरा नही रहता है।" वो हँसते हुए बोली।
"ओह्ह ऐसा है क्या??" मेने भी हँसते हुए कहा।
"नहीं वो बस सुना था।"
"रहने दिजीये आप मे चाय बना कर लता हूँ , लोग तो ये भी बोलते की में चाय बहुत अच्छी बनाता हूँ।" में हँसते हुए किचन की तरफ जाते हुए बोला।
"तो फिर हम जरूर पियेंगे।" वो भी मुस्कराते हुए बोली।
चाय बनाते बनाते मेने पूछा "आप का नाम तो पूछना भूल ही गए ,क्या नाम है आपका?"
"निषी , ओर आपका ?" उसने कहा।
"निषी !! " में थोड़ा कंफ्यूज होते हुए बोला।
निषी ने कहा " क्यों क्या हुआ ?"
"अरे कुछ नही अच्छा नाम है और में प्रतीक ।" मेने कहा।
"वैसे चाय सच मे अच्छी बनी है।" निषी ने मुस्कराते हुए कहा।
मेने कहा " थैंक यू ओर आप यहाँ क्या करने आयी हो?"
"ओह्ह में अपनी कम्पनी की तरफ से आयी हूँ वो पुरानी ancient historical place पर रिसर्च करते है , और में एक ट्रैवलर हूँ।" निषी ने बताया ।
"ओह्ह wow nice " मेने कहा।
"ओर आप क्या करते है?" निषी ने पूछा।
"में एक architecture हूँ ।" मेने बताया।
"Ok"
तभी डोर बेल बजी।
"लो लीजिये बातो ही बातों में पता भी नही चाबी वाला आ गया ।" में दरवाजा खोलने के लिए उठा।
जब वो जा रही थी तो मैने बोला "निषी!!"
पलट कर वो बोली "हाँ बोलिये।"
मेने कहा " कुछ नही बस ऐसे ही bye ओर कुछ हेल्प चाहिये हो तो बता देना।"
"Okk थैंक यू" वो मुस्कराते हुए अपने फ्लैट में चली गयी।
जब में दरवाजा बंद करके अंदर आया तो लगा जैसे में उस चेहरे और मुस्कराहट उस आवाज को जनता हूँ पहले से लेकिन याद नही नही आ रहा है।
उस दिन से हम दोनों बहुत बार शाम को मिले , बात हुई लेकिन ....
"लेकिन क्या आगे क्या हुआ ?" ऋषभ प्रतीक को present में लाते हुए बोला।
"मुझे लगता है उसको में जनता हूँ।" प्रतीक ने कहा।
ऋषभ बोला "तो परेशानी क्या है जा कर उससे कंफर्म करले बात खत्म यार।"
"वो ही तो यार वो फ्लैट खाली कर के चली गयी है।" प्रतीक ने परेशान होते हुए कहा।
"अबे तो फ़ोन नंबर तो होगा कॉल कर ना।" ऋषभ ने जोर देते हुए कहा।
यार....
क्या....
"वो नंबर की जरूरत ही नही पड़ी तो लिया नही और ओर सोशल साइट के बारे में भी नहीं पूछा मिला ही कितने थे यार।" प्रतीक चुप होते हुए बोला।
"पूरा नाम तो पता होगा ना उससे सर्च कर fcebook पर बाकी कहीं पर।" ऋषभ फिर बोला।
"नही मालूम।" में नजरे चुराते हुए कहा।
"क्या बात है मेरे हीरो क्या बात है, अब क्या करेंगे जरा बताना??" ऋषभ गुस्से ने शाबासी देते हुए कहा।
"एक तरीका है मेरे 3rd क्लास की एक ग्रुप फोटो है अगर ये वही तो उसमें होगी ओर नाम भी होगा।" प्रतीक ने उत्सुक होते हुए कहा।
"क्या क्या बोला रहा है 20 साल पुरानी लड़की अब मिलेगी और इतनी क्या खास है में कुछ समझा नही।" ऋषभ परेशान होते बोला।
"में पक्का हूँ ये वही है सुन में जा रहा हूँ बोस को बता देना में पैकिंग करके माँ के पास निकलूँगा।" प्रतीक जल्दी जल्दी अपना आफिस बैग पैक करते हुए बोला।
ऋषभ ने टोकते हुए कहा "अब ये कहानी तो बता कर जा।"
प्रतीक-" आकर अभी चलता हूँ।"
प्रतीक ट्रैन में बैठे बैठे सफर निकल रहा था उस सफर के हर पल के साथ याद रहा था वो एक्सीडेंट वो हर शाम को रोज हॉस्पिटल आना हर बार मुस्कराहट के फूल देंना सब कुछ।
कब माँ के शहर आ गया पता ही नही चला।
घर पहुँच कर सबसे पहले प्रतीक ने माँ से पूछा "मम्मी याद है जब मेरा 3rd क्लास में एक्सीडेंट हुआ था तब रोज एक लड़की आती थी हर शाम मुझसे मिलने क्या नाम था उसका याद है आपको?"
"आती तो थी जब तू बिल्कुल ठीक नही वो रोज आती थी, लेकिन उसका नाम याद नहीं क्यों क्या हो गया?" मम्मी ने पूछा।
"कुछ नही वो मेरी 3rd क्लास की ग्रुप फ़ोटो तो होगी ?" प्रतीक ने परेशान होते हुए पूछा।
"देख ले मुझे मालूम नही स्टोर रूम में।" मम्मी ने बताया।
प्रतीक स्टोर रूम की तरफ भाग पूरा स्टोर रूम उथल पुथल कर दिया लेकिन कुछ नहीं मिला तो वही से चिल्लाया "मम्मी नही है यहाँ पर ।"
मम्मी बोली "तो नही होगी कितनी पुरानी है चल खाना खा लो आ जाओ मुझे बहुत सारी बाते करनी है ये सब बाद में करना तुम।"
"मम्मी स्कूल रिकॉर्ड में तो होगी ना में वहाँ जा कर देखता हूँ ।" प्रतीक जोश में आते हुए बोला।
"अरे ऐसा क्या है और शाम होने वाली है, स्कूल बंद होने वाला होगा।" मम्मी ने गुस्सा करते हुए कहा।
प्रतीक कहा सुनने वाला था ,बाइक निकल कर बोला "माँ वो मिल गयी नही इतने सालों बाद ।"
तुरन्त भाग कर स्कूल पहुँचा स्कूल गेट पर एंट्री करते हुये सीधे प्रिंसिपल आफिस की तरफ बढ़ा लेकिन उस आफिस तक के रास्ते मे वो सब याद आ रहा था स्कूल की यादे वो उसके साथ स्कूल ग्राउंड की प्राथना वो खेलना।
प्रिंसिपल सर से एंट्री के पूछा सर "अंदर आ सकता हूँ ?"
"अरे तुम प्रतीक हो कैसे इतने सालो बाद भूल ही गए थे स्कूल को 12th के बाद क्या आओ बैठो, कैसे आना हुआ ??" सर ने प्रतीक को देखते हुए ।
प्रतीक ने हँसते हुए कहा "नहीं सर , बस अब यहाँ कम ही आता हूँ और इस स्कूल को कैसे भूल सकता हूँ , ओर आपकी पिटाई कैसे भूल सकता हूँ।"
सर बोले " अरे बस बताओ कैसे आना हुआ?"
"एक हेल्प चाहिए सर आपकी" प्रतीक ने कहा।
सर बोले "अरे हाँ तुम हमारे यहाँ के होनर स्टूडेंट हो बताओ कैसी मदद??"
प्रतीक ने कहा " मुझे सर मेरे 3rd क्लास की जो ग्रुप फ़ोटो है वो चाहिए है बस।"
"लेकिन क्यों??"
"बस सर जरूरत है मना मत करना प्लीज।"
"ठीक है।"
सर चपरासी को बुलाते है उसे अब समझाते है वो प्रतीक को स्टोर रूम ले कर चलता है।
बहुत मेहनत करने के बाद जब फोटो मिलती है प्रतीक देख कर उसमें निषी नाम ढूंढता है और नाम मिलने उस चेहरे को देखता बिल्कुल उसके बगल में थी तस्वीर में।
प्रतीक फोन लगता है उधर से कोई उठता है तो बोलता है "ऋषभ निषी सिंह वो ही मुस्कराहट वो ही है ।"
ऋषभ "लेकिन अब उसे ढूंढेगा कैसे ?? और बताएगा क्यों इतना परेशान था?"
"आ कर बताऊंगा ओर अब दुनिया के किसी भी कोने में होगी में ढूंढ़ निकलूँगा बस।" प्रतीक ने कहा।
"निषी सिंह"
मुस्कराते सर से एक कॉपी लेकर उसकी निकल आता है।.....
....To be continue.....
To read 2nd part-
The evening-2
Note: if you like it or not please comment and share its purely fiction story.
Nice yrrr 💐💐👏👏👏👏👏😊😊😊
ReplyDeleteThnk u so mucu
Deleteबहुत ही perfect Story भाई 👌👌💯💯
ReplyDeleteThnks bhai
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