1st part- 90's childhood story-1 शक्तिमान शक्ति शक्ति शक्तिमान चिल्लाते हुए में दौड़ कर घर पहुँचा , यही तो था हमारा सुपरहीरो। मेने बैग एक तरफ फेक कर टीवी को on किया लेकिन दीदी को तो मेरी खुशी देखी नही जाती तुरन्त चिल्लाई "मम्मी ये देखो प्रतीक ने कपड़े भी नही उतरे और टीवी पर बैठ गया और इसको बोलो टीवी बन्द करे कल मेरा बोर्ड का आखिरी पेपर है।" सच मे बड़े भाई बहनों को छोटो की खुशी देखी नही जाती है। में गुस्से अपने कमरे मे जा कर अपने WWF कार्ड से खेलने लगा। छुट्टी में क्या है जिंदगी सबुह आराम से जगाना कोई नही टोकने वाला। जितना मर्ज़ी उतना खेलना। वैसे भी कल दीदी का आखिरी पेपर फिर तो हम नाना जी के घर चले जायेंगे खूब मस्ती करेगे। अगले दिन हम सब मे, दीदी और माँ ट्रैन से नाना जी के घर निकल गए पूरे साल का सबसे अच्छा टाइम ट्रैन से ये 10 घण्टे का सफर में बड़ा मजा आता था। नाना जी के घर कुछ दस दिन रहने के बाद हम सब वापस आ रहे थे, क्योंकि इस बार दीदी के कॉलेज अड्मिशन भी होना था, तो हम जल्दी लौट कर आ गये। जब वापस आया तो एक दिन अक्षत घर आया बोला...
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