"प्रतीक बेटा उठ जाओ स्कूल नही जाना है इतनी देर तक कोन सोता है?"
ये है हमारी मम्मी पता नही क्यों हमेशा सुबह के सपने खराब करने की आदत है।
"प्रतीक प्रतीक" माँ चिल्लताते हुए बोली।
"मे तो उठ गया हूँ मम्मी, बस लेटा ही हूँ।"
"अच्छा रुक अभी आती हूँ सुबह सुबह मार खायेगा तू?"
अरे ये 90s है इस समय माँ की मार और पापा की डाँट से कोई नहीं बच सकता है। इसलिए माँ के कमरे तक पहुँजने से पहले ही हम नहा कर तैयार हो गए।
"आज फिर सिमरन मिलते मिलते रह गयी सपने में हमको, मम्मी को भी उस टाइम पर चिल्लाना होता है।" में बड़बड़ाते हुए नाश्ते की टेबल पर पहुँचा ही था कि "क्या बड़बड़ा रहे हो तुम?" दीदी ने पूछा।
में उनकी तरफ देखते हुए बोला "कुछ नही आपसे मतलब।"
माँ किचन से मुझे नाश्ता और दूध देते हुए बोली "आज आखिरी पेपर है कल से तुम्हरी गर्मियो की छुट्टी शुरू है तो खुशी में बेकार पेपर मत कर आना समझे।"
समझ नही आता मम्मी का खुश होने के लिए बोल रही है या डराने के लिए ,आखिरी एग्जाम है।
स्कूल बस में चढ़ने पर जब सामने सीट पर बैठे अक्षत को देखा तो अलग ही मुस्कान आ गयी चेहरे पर कुछ बात है दोस्तो में, अलग ही सुकून देते, लेकिन उतने ही कमीने होते है में बैठ भी नही पाया।
अक्षत ने गुस्से में आँख दिखते हुए बोला "मेरी नागराज की कॉमिक बुक लाया आज तो वापिस कर ना तू ।"
"हाँ लेले ओर दूसरी कॉमिक बुक कब देगा ?" मेने उतने ही प्यार से पूछा।
"पता नही ओर अभी रिविशन करने दे आज आखिरी पेपर है यार।" अक्षत ने खुद का सर किताब में मारते हुए कहा।
में पढ़ने में बिजी था बस अलगे स्टॉप पर रुकी कि आँख ऊपर उठाई तो देखा एक लड़की बस पर चढ़ी है।
"उफ्फ क्या मुस्कराहट है और ये हवाएं कैसे उसके बालों को पीछे उड़ा रही है क्या अदा है ये राज तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था सिमरन ।"
"ओये ddlj के शाहरुख सपने से बाहर निकल हवाएं नही चल रही है और उसने दो चोटी की है।" अक्षत ने मेरे सर पर मारते हुए बोला।
"एक बात बोलू?" अक्षत
"हाँ बोल।"
में बोला - "तू कितना भी पढ़ ले टॉप तो सिमरन ही करेगी।"
अक्षत आँख दिखते हुए फिर पड़ने में बिजी हो गया।
मेरा पढ़ने में मन नही लगा तो सामने देखा एकदम से गुस्सा आ गया - "अबे यार ये सोनू भैया कहाँ से बीच मे आ गये सिमरन ओर मेरे!!"
"उनको छोड़, स्कूल आ गया है।" अक्षत ने बीच मे टोकते हुये कहा।
वैसे एक बात अच्छी थी सिमरन पेपर में मेरे आगे ही बैठती है , लेकिन कभी बात करने की हिम्मत नही हुई।
पेपर खत्म हुआ सब स्कूल ग्राउंड पर मिल रहे थे आज आखिरी दिन था अब गर्मियों की छुट्टी की बाद ही मिलते स्कूल में और शाम को खेलने का प्लान बना रहे थे।
तभी अक्षत और मेरे कुछ दोस्तों आ कर बोले- "आज तो बात कर ले अकेली खड़ी है।"
मेने पलट के देखा सिमरन सच मे अकेले खड़ी थी।
मेरे दोस्तों ने जबरदस्ती धक्का
देकर उसके सामने खड़ा कर दिया, अब वो मेरे सामने मे उसके,
मे हकलाते हुए बोला- "ह ह हाय सिमरन ओह्ह सॉरी निषी हेलो"
अब निषी नाम है उसका तो निषी बोलूंगा आपको क्या लगा!!!!
निषी- "हेलो प्रतीक कैसा हुआ पेपर? टॉप करोगे आज बहुत लिख रहे थे।"
मैंने कहा - "कहाँ यार वो तो बस ओर तुम 8th में यही पढ़ोगी।"
"हाँ ओर तुम ?" निषी ने मुस्कराते हुए पूछा।
"हाँ में भी, अच्छा चलता हूँ bye" में डर कर भाग के अपनी बस में आकर बैठ गया।
बस में सब खूब मस्ती कर रहे थे और साथ में भी, कोई अपने बैग में वॉकमेन लाया था तो उसको बजा कर हम लोग खूब नाचे ।
तभी मेरा स्टॉप आ गया और में बैग उठा कर नीचे उतरने लगा पीछे पलट कर देखा तो सिमरन मुस्करा रही थी ओह्ह सॉरी निषी!
उसको मुस्कराता देख में भी मुस्करा दिया और उतर कर अपने घर चल दिया।
...To be continue...
2nd part-
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Nice story
ReplyDeletethank u
DeleteNice
ReplyDeletethank u
DeleteMe love stories nahi pdhti but aap bhut aachi stories likhte ho isliye pdh leti hu😊😊😊😊😊😊 excellent
ReplyDeleteohhh thn k u its my pleasure bs ap sb k liye hi likhta hu
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