निषी अपने हाथों में एक नोट लिए बैठी रोये जा रही थी। "काश सुन ली होती उसकी बात, क्यों नही सुनी मेने क्यों क्यों क्यों?"
ये सोचते सोचते एक बार फिर नज़र उस कागज के प्रतीक के सुसाइड नोट पर गयी।
Dear निषी,
यहाँ कोई भी मेरी बात सुनने को राज़ी नही था, लेकिन ये सच है इस हॉस्टल के वो 107 कमरे में कुछ तो है। जिस दिन से में उसके बगल वाले रूम 106 में शिफ्ट हुआ था , हर पल एहसास होता कोई है दीवार के उस तरफ जो रोये जा रहा था।
उस शाम जब सब फ्रेशर पार्टी थे तब में किसी काम से रूम आया था, तो बालकनी में कोई खड़ा था और बार बार फ़ोन पर बात किये जा रहा था "क्यों अलग हो रहे हो आप दोनों ? लव मेरिज की थी आप दोनों ने फिर क्यों मेरे बारे में सोचो"
जैसे ही मेने उसे आवाज दी वो तुरन्त भाग गया अपने कमरे में।
वो ही कमरा 107 जब पास जा कर देखा कमरे में तो ताला लगा था, में परेशान हो गया। लेकिन लगा की थकान की वजह से भ्र्म हो गया होगा।
वो ही कमरा 107 जब पास जा कर देखा कमरे में तो ताला लगा था, में परेशान हो गया। लेकिन लगा की थकान की वजह से भ्र्म हो गया होगा।
उस दिन से जब भी में बाहर खड़े हो कर तुमसे बात करता, लगता मानो कोई हँस रहा हो मुझ पर।
बहुत पूछा उसके बारे में कॉलेज पर कुछ पता नही चला फिर एक दिन रात को खिड़की से देखा हॉस्टल के सामने वाले लैंप पोस्ट के नीचे वो ही लड़का बैठा एक फोटो देख रहा है में तुरन्त दरवाजा खोल के उसके पास गया।
लेकिन मुझे देख वो फिर भाग गया में उसके पीछे भगा तो वो बालकनी में आ कर गायब हो गया, में पेड़ से चढ़ कर खिड़की से उसके कमरे में गया बिलकुल अजीब था पूरे कमरे में एक अलग रोशनी थी और एक दीवार पर किसी आदमी और औरत की तस्वीर बनी थी नीचे लिखा था "ई लव यू"।
तभी एक आवाज आयी "तुम आ गए मेरी जिंदगी का तमाशा देखने।" आवाज उसी लड़के की थी ध्यान से देखा तो वो सामने स्टडी टेबल की चेयर पर बैठा था।
में "कोन?" बोलते हुए आगे बढ़ा जैसे उसके करीब पहुँचा ऐसा लगा किसी ने मुझे हवा में फेंक दिया हो और तेज़ तेज हँस रहा हो और फिर रो रहा हो।
कोई मेरे पास आ रहा था तभी मेरे गले में हनुमान जी लॉकेट देख वो गायब हो गया।
में तुरन्त वहाँ से भाग निकला लेकिन उस दिन से बिलकुल अजीब होने लगा मेरे साथ मानो लगता कोई मेरे पास हो, हर वक्त हो।
में तुरन्त वहाँ से भाग निकला लेकिन उस दिन से बिलकुल अजीब होने लगा मेरे साथ मानो लगता कोई मेरे पास हो, हर वक्त हो।
तुमको कॉल लगाने की कोशिश की तो तुम बाहर थी।
यहाँ कोई विश्वास नही कर रहा था। बड़ी मुश्किल से ये तुम्हारे लिए लिख रहा हूँ महसूस कर सकता हूँ इस वक्त भी वो मेरे सामने है और मुझ पर हँसे जा रहा है। एक राज तुमको बताना है वो दीवार पर जो तस्वीर थी उसमें वो आदमी मेरे पापा थे । मुझे आज जाना होगा निषी।
काश तुम आ पाती। bye I love you.
तुम्हारा प्रतीक...
तुम्हारा प्रतीक...
विशेष सूचना- कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है सच्चाई से दूर दूर तक कोई लेना देना नही है । एक कोशिश की है हॉरर स्टोरी लिखने की अच्छी लगे तो कमेंट जरूर करे।
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Excellent ek pal ke liye to laga real story hai. Story itni aachi thi ki me bhul hi gai ye imaginary bhi ho sakti hai mind blowing. 👌👌👌
ReplyDeleteohhh thnk u so much itna relate krne k liye hope so i will write more about this story
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