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जिंदगी का कलाकार
जिंदगी का कलाकार
"अंकित तुम इतनी सुबह सुबह कहा साईकल पर" कुछ शायद यही शब्द थे उस सुबह मेरे। ।
हाँ तो बात ज्यादा पुरानी नही है बस मेरे 11 क्लास की ही है ।
माँ की हज़ार कोशिशो अरे नही लाखों कोशिशो ओर पापा के गुस्से के बाद में सुबह सुबह दौड़ने निकला बस शहर के चौरहै तक पहुँज कर खुद को आराम दिया ही था।
तभी सामने एक चेहरा आता दिखा मेरा मोहल्ले का ओर मेरे पिछले स्कूल का दोस्त अंकित साईकल पर इतनी सुबह सुबह कहाँ ?
वही अंकित जिसके साथ स्कूल की drawing क्लास में मस्ती की जिसके साथ हम मोहल्ले में शाम को अक्सर खेलते थे। वो इतनी सुबह शायद कोई काम हो जब पास आया ओर मेरे पूछने जो उसने बताया शायद वो सुनने के लिए मेरी उम्र तैयार नही थी।।
"कुछ नही भाई बस कंपनी से अखबार लेने जा रहा हूँ अभी घर घर डालने भी निकलना है।।"
"क्या क्या में कुछ समझा नही तुम अखबार डालते हो लेकिन क्यों ?" मेने पूछा...
" बाद में बात करते भाई लेट हो रहा हूँ" इतना बोल के वो निकल गया।।
दिन भर स्कूल में , ट्यूशन में परेशान रहा शाम को घर पहुँजते ही सीधे उसके घर गया।।
हाँ पैसो से थोड़ा कमजोर था किराये से रहता था पापा की शायद एक दुकान थी । माँ थोड़ा बहुत मेहनत करके उसको ओर छोटे भाई को पढ़ाती थी ।।
अरे एक बात बताना भूल गया he is master of art brush.
रंगों से कैसे खेलना है उसे बहुत अच्छे से आता है । लाइव पेंटिंग में तो मास्टर है।। ओर में भी थोड़ी बहुत स्केचिंग कर लेता हूँ तो थोड़ी बनती थी हमारी।।
ओह्ह हाँ जब वो शाम को मिला तो बतया " यार घर नही चल पाता है इसलिए सुबह सुबह अखबार डलता हूँ और कुछ घर की परेशानी भी है।।"
मन उदास हो गया था मेरा।।
हम अक्सर सुबह साथ बैठेते और वो मुझे बहुत समझता ओर हम दुनिया भर की बाते करते।।
उससे मिलना मुझे हमेशा गर्व ओर प्रेरित दोनो करता था ।
वो अपनी मेहनत से शहर के बड़े आर्ट टीचर के क्लास भी लेने लगा।।
जब 12 में आये हम दोनों तो एक दिन वो बोला शिवम भाई कुछ काम चाहिए...
में कहाँ से कम दिलाता बहुत सोचने के बाद आईडिया आया cbse board में आर्ट सब्जेक्ट की partcicle फ़ाइल बनवाने का सिलसिला शुरू हो गया था बड़े बड़े घर के लड़के पैसे के दम पर दूसरे से बनवाने लगे ।
में भी अंकित की हेल्प से फ़ाइल बनाने लगा ।।
"भाई फ़ाइल बनाएगा कुछ मेरे दोस्तो की" मेने पूछा। उसके हाँ बोलने पर एक दो दिन में उसके पास 5-6 फ़ाइल की डील ले आया market से हाफ रेट पर ।उसकी बनी आर्ट फ़ाइल सबको बहुत पसंद आई ओर उसकी आर्ट फेमस हो गयी थी ।
शहर में एक नया कलाकार आ गया था ।
मुझे गर्व था कि वो मेरा दोस्त है।।
Exam खत्म हुए में बाहर चला गया आगे की पढ़ाई के लिए फिर हमारी बाते होना भी कम हो गयी ।
एक दिन facebook पर एक पोस्ट देखी एक status अपडेट हुआ था work at picasoo international company ये अंकित ने पोस्ट ने किया था । में कुछ समझ नही पाया ओर तुरन्त कॉल किया बात की तो उसने बताया " yes they hire me and i start my art coaching class at lucknow." में बहुत खुश था ।
सच मे इतनी कम उम्र में खुद को बना लिया
वो 20 फ़ाइल की पेंटिंग से खुद की कोचिंग क्लास तक का सफर शायद नही सच मे बहुत मुश्किल था।
वो कलर ब्रूस का कलाकार ही नही वो ज़िन्दगी
का कलाकार निकला। उसने बताया खुद के आगे ये जिंदगी कुछ भी नही किस्मत यहाँ खुद लिखी जाती है।
आज जब भी उसको देखता हूँ एक energy आ जाती है खुद में।
उस दोस्त के लिए चार लाइन ....
माँ की हज़ार कोशिशो अरे नही लाखों कोशिशो ओर पापा के गुस्से के बाद में सुबह सुबह दौड़ने निकला बस शहर के चौरहै तक पहुँज कर खुद को आराम दिया ही था।
तभी सामने एक चेहरा आता दिखा मेरा मोहल्ले का ओर मेरे पिछले स्कूल का दोस्त अंकित साईकल पर इतनी सुबह सुबह कहाँ ?
वही अंकित जिसके साथ स्कूल की drawing क्लास में मस्ती की जिसके साथ हम मोहल्ले में शाम को अक्सर खेलते थे। वो इतनी सुबह शायद कोई काम हो जब पास आया ओर मेरे पूछने जो उसने बताया शायद वो सुनने के लिए मेरी उम्र तैयार नही थी।।
"कुछ नही भाई बस कंपनी से अखबार लेने जा रहा हूँ अभी घर घर डालने भी निकलना है।।"
"क्या क्या में कुछ समझा नही तुम अखबार डालते हो लेकिन क्यों ?" मेने पूछा...
" बाद में बात करते भाई लेट हो रहा हूँ" इतना बोल के वो निकल गया।।
दिन भर स्कूल में , ट्यूशन में परेशान रहा शाम को घर पहुँजते ही सीधे उसके घर गया।।
हाँ पैसो से थोड़ा कमजोर था किराये से रहता था पापा की शायद एक दुकान थी । माँ थोड़ा बहुत मेहनत करके उसको ओर छोटे भाई को पढ़ाती थी ।।
अरे एक बात बताना भूल गया he is master of art brush.
रंगों से कैसे खेलना है उसे बहुत अच्छे से आता है । लाइव पेंटिंग में तो मास्टर है।। ओर में भी थोड़ी बहुत स्केचिंग कर लेता हूँ तो थोड़ी बनती थी हमारी।।
ओह्ह हाँ जब वो शाम को मिला तो बतया " यार घर नही चल पाता है इसलिए सुबह सुबह अखबार डलता हूँ और कुछ घर की परेशानी भी है।।"
मन उदास हो गया था मेरा।।
हम अक्सर सुबह साथ बैठेते और वो मुझे बहुत समझता ओर हम दुनिया भर की बाते करते।।
उससे मिलना मुझे हमेशा गर्व ओर प्रेरित दोनो करता था ।
वो अपनी मेहनत से शहर के बड़े आर्ट टीचर के क्लास भी लेने लगा।।
जब 12 में आये हम दोनों तो एक दिन वो बोला शिवम भाई कुछ काम चाहिए...
में कहाँ से कम दिलाता बहुत सोचने के बाद आईडिया आया cbse board में आर्ट सब्जेक्ट की partcicle फ़ाइल बनवाने का सिलसिला शुरू हो गया था बड़े बड़े घर के लड़के पैसे के दम पर दूसरे से बनवाने लगे ।
में भी अंकित की हेल्प से फ़ाइल बनाने लगा ।।
"भाई फ़ाइल बनाएगा कुछ मेरे दोस्तो की" मेने पूछा। उसके हाँ बोलने पर एक दो दिन में उसके पास 5-6 फ़ाइल की डील ले आया market से हाफ रेट पर ।उसकी बनी आर्ट फ़ाइल सबको बहुत पसंद आई ओर उसकी आर्ट फेमस हो गयी थी ।
शहर में एक नया कलाकार आ गया था ।
मुझे गर्व था कि वो मेरा दोस्त है।।
Exam खत्म हुए में बाहर चला गया आगे की पढ़ाई के लिए फिर हमारी बाते होना भी कम हो गयी ।
एक दिन facebook पर एक पोस्ट देखी एक status अपडेट हुआ था work at picasoo international company ये अंकित ने पोस्ट ने किया था । में कुछ समझ नही पाया ओर तुरन्त कॉल किया बात की तो उसने बताया " yes they hire me and i start my art coaching class at lucknow." में बहुत खुश था ।
सच मे इतनी कम उम्र में खुद को बना लिया
वो 20 फ़ाइल की पेंटिंग से खुद की कोचिंग क्लास तक का सफर शायद नही सच मे बहुत मुश्किल था।
वो कलर ब्रूस का कलाकार ही नही वो ज़िन्दगी
का कलाकार निकला। उसने बताया खुद के आगे ये जिंदगी कुछ भी नही किस्मत यहाँ खुद लिखी जाती है।
आज जब भी उसको देखता हूँ एक energy आ जाती है खुद में।
उस दोस्त के लिए चार लाइन ....
जुनून दुनिया को अपनी औकात दिखाने का...
पागलपन हर हद को पार कर जाने का...
ताकत हर मुश्किल को आसानी में बदलने का...
कुछ करने की हिम्मत मुझ में नही हम में हो।।
...at the end a beginning of new life...
पागलपन हर हद को पार कर जाने का...
ताकत हर मुश्किल को आसानी में बदलने का...
कुछ करने की हिम्मत मुझ में नही हम में हो।।
...at the end a beginning of new life...
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